आरती श्री गजाननाची




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  || आरती  श्री गजाननाची ||
jai shri jaganan maharaj ki
जयदेव जयदेव जय मयुरेश्वरा आरती ओवाळीतो सिद्धी बुद्धिवरा जयदेव जयदेव ||धृ ||
दुर्गोपम दुर्गोदरी, सागर तीरासी  | अवतरुनी सांभाळी, संकटी भक्तांसी |
नाभीज तीर्थे सकला देतो अभयासी  |  वंदन सद भावे त्या गणरायासी ||१||
प्रतिमासांतरी  येता संकष्टी चतुर्थी  |  अंतर्यामी  तुजला भक्त बहुध्याती  |
गुनगाती तवभवती प्रदक्षिणा करिती  |  दर्शन घेउनिया मग आनंदित होती ||२||
शृंगारुनिया तुजला नाना अलंकारे  | पालखी माजी बसविती धालुनी हारतुरे |
सुस्वर मंगल वाद्ये वाजती तवसारे |  जनते मंगल मूर्ती वदती प्रेमभरे || ३||
संस्थानिक पटवर्धन कुलदैवत साचे  |  ते तुज सद्रूप श्री गणरायाचे |
पाहुनी लागुनी नादी तुझीया भजनाते |  मोरेश्वर कवी कीर्तनी आनंदे नाचे || ४|| जयदेव जयदेव
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