लोलो लागला | अंबेचा | भेदाभेद कैचा | आला कंटाळा विषयाचा | धंदा मूळ मायेचा || लोलो लागला || धृ ||
प्रपंच खोटा हा | मृग पाणी घोरे फिरती प्राणी |
कन्या सुत दारा | धन माझे | मिथ्या वदतो वाणी
अंती येती हे यमदूत | न ये संगे कोणी |
निर्गुण रेणुका |. कुलदेवी | जपतो मी निर्वाणी || लोलो ||१||
पंच भूतां s चा अधिकार | केला से सत्वर | नयनी देखियला आकार
अवघा तो ईश्वर | नाही सुख दु:ख देहाला | कैसा अहंकार |
साहे परमात्मा तो ध्यानी | भासे शून्याकार || लोलो || २ ||
ध्याता मुद्रा हि | उन्मनी | लागे अनुसनधानी |
निद्रा लागली | अभिमानी जे का निरंजनी | लीला वर्णिता स्वरुपाची |
शीणली शेष वाणी | देखिली भवानी जननी त्रेलोक्यपावणी || लोलो ||३ ||
गोंधळ घालीन मी | अंबेचा | घोष अनुहाताचा
दिवट्या उजळू निया | सदोदित | पोत चैतण्याचा |
आह्म:सोहम से | पर्वत | सक लांमध्ये जेथे जगदंबा |अवधूत | दोघे भोपे भट |
जेथे मोवाळे विजाळे | प्रणीता पाणी लोट | तेथे तानाजी | झाला ब्रम्हनिष्ठ || लोलो || ४||