Farsighted or long vision is not any magic or gift of god. Its just changes in your organal procedure. These are abnormal human conditions. We can grow such techniques with little practice in your body.
दूर दृष्टी ( क्लेरवॉयन्स ) ये कोई बहुत बडी शक्ती नाही है. सर्वज्ञाता से उस्का कोई संबंध नहीं. यह बडी छोटी शक्ती है. और कोई भी व्यक्ती चाहे तो ऐसे थोडी श्रम मी विकसित कर शकता है. कभी तो ऐसा भी हो सकता है कि प्रकृती किसी भूलचूक से यह शक्ती किसी व्यक्ती मे सहज हि विकसित हो जाती है.
उदा – अमेरिका मे एक आदमी नाम -टेड सिरियो जो कि किरणे हि हजार मिल कि दुरी पर कुठं भी देखणे मे समर्थ था, न हि केवल देखणे मे बाकी उसकी आख ऊस चित्र को पकडणे मे भी समर्थ थी. पाच मिनिट आखे बंद करके वह न्यूयार्क मे बैठे हुवे टेड सिरियो अगर पुछा जाये इंडिया के अहमदा बाद मे क्या हो रहा है वह पाच मिनिट आख बंद करके बैठा रहेगा , फार आख खोलेगा और उसकी आख मे व्हा सबकी बैठी हुइ तसवीर दुसरे लोग देख शकते थे और उसकी आख मे जो तसवीर बन रही हो या दिखाई पड रही हो कॅमेरा उसका फोटो भी ले सकता था. हजारो फोटो भी लिये गये है. और टेड सिरियो कि आखे कितनीही दुरी पर किसीभी तरह के चित्र पकडणे मे समर्थ थी. टेड सिरियो एक साधारण व्यक्ती था.इससे टेड सिरियो ने ये बाते साफ करदी है कि, कोई दूरदृष्टी वाला कोई आत्मज्ञानी नहीं है.
टेड सिरियो को कोई आत्मा का पता नहीं था. उसकी जिवणी मे साधूता का कोई नाम नहीं था. लेकिन टेड सिरियो के पास एक शक्ती थी दूर देखणे कि यह विशेष शक्ती है.
दूर का सुनाई पडणा, कोई चमत्कार नाही.
कुछ साल पहले स्कैडिनेविया एक उक्ती किसी दुर्घटनामे, कार से जमीन पर गीर गया. उसके सिर चोट आई. लेकिन अस्पताल मे जब उसे होश आया तो बहुत मुश्किल मे पडा उसके कां मे जैसे कोई गीत गा रहा हो, ऐसा सुनावले पडणे लगा, कुछ पल उसे लगा कि मै पागल हो गया पर दो दिन के भितर स्पष्ट, साफ होने लगा कि दस मिल के भितर जो रेडिओ स्टेशन था उसके कान नेऊस रेडिओ स्टेशन को पकडना सुरु कर दिया था. फिर उसके कान का सारा अध्ययन किया गया और पता चला कि उसके कान मे कोई विशेषता नाही है. लेकिन चोट लगणेसे कान मे छिपी कोई शक्ती सक्रिय हो गयी है.
आधुनिक काल में हम बहुत बातों को चमत्कार नही मान सकते. जैसे के दूरदृष्टी.
कुछ साल कि बात है इंग्लड में एक महिला को दिन में आकाश में तारे दिखाई पडणे लगे थे, उके साथ एक दुर्घटना होणे के कारण. देखो तारे तो दिन में भी आकाश में हि होते है, कही वह हट नही जाते.सिर्फ सूर्य कि प्रकाश के कारण ढक जाते है, अगर अनोखे सूर्य कि प्रकाश को पार करके देख पाये, तो दिन को भी तारोंको देख शकते है. अगर आखोंमे कुछ क्रिया में बाधा आती है तो ऐसा होता है. फार उसकी आखोंका इलाज करके पूर्ववत हो गयी.
आखोंमे भी एसी शक्तिया छिपी है. जो दिन में आकाश कि तारोंको को देख ले. कानोमे भी दुरसे प्रसारित होणे वाले ध्वनी को पकड ले. जो समय और क्षेत्र कि सीमाओ को पार करके देख ले. इसका अध्यात्मसे कोई बहुत जादा संबन्ध नही. जैसे हमारे महा भारत में बताया जाता है, संजय एक विशिष्ट्य व्यक्ती जरूर थे, उनकी दूर दृष्टी को अध्यात्मिकता के साथ नही जोडा जा सकता. वह एक शक्ती है, वह हम सब के पास है. संजय ने ऊस शक्ती को विकसित किया था. और हम विकसित नही कर पाये.