कलाम क्यों नहीं बन सकते राष्ट्रपति?




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कलाम क्यों नहीं बन सकते राष्ट्रपति?

abdul kalam
उमेश उपाध्याय

आजकल तकरीबन हर पोर्टल पर हो रहे सर्वे में पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम देश के चौदहवें राष्ट्रपति के पद के लिए जनता की पहली पसंद हैं। राष्ट्रपति पद के लिए पिछले चुनाव के दौरान भी लगभग ऐसा ही नज़ारा था। पर हम जानते हैं कि वे दोबारा राष्ट्रपति नहीं बनेंगे। कारण, दिल्ली में सत्ता के गलियारों की कुंजी अब जनता के हाथ में नही है। जिन लोगों के पास दिल्ली की सत्ता की चाबी है, वे मानते हैं कि टीवी चैनलों, अखबारों और पोर्टल्स पर हो रहे सर्वे में भाग लेना एक मध्यमवर्गीय शगल है और इससे देश की राजनीति पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। देश की जनता की स्मृति कमज़ोर है और टेलीविज़न पर पर रोज़ चलने वाले सीरियलों के ड्रामे की तरह जनता इसे भी कुछ दिनों में भूल जाएगी। जैसे पिछ्ली बार श्रीमती प्रतिभा पाटिल को राष्ट्रपति बना दिया गया था, इस बार भी प्रणब मुखर्ज़ी राष्ट्रपति बन जाएंगे।

वैसे कुछ विश्लेषकों की बात मान ली जाए, तो प्रणब मुखर्जी भी सोनिया गांधी की पहली पसंद नहीं थे राष्ट्रपति पद के लिए। जब सोनिया गांधी ने ममता बनर्जी को दो – प्रणब मुखर्जी और हामिद अंसारी के नाम सुझाए थे तो वे जानती थीं कि ममता किसी हालत में प्रणब के नाम पर राज़ी नहीं होंगी और आखिरकार हामिद अंसारी के नाम पर सहमति बन जाएगी। अगर मुलायम और ममता ने तीन नाम नहीं सुझाए होते तो ऐसा हो भी जाता। पर यहां मुलायम सिंह ने सोनिया को अपने धोबी-पछाड़ से चित कर दिया। अपनी जवानी में पहलवान रहे मुलायम सिंह यादव ने भी जब डॉ. मनमोहन सिंह, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और सोमनाथ चटर्जी का नाम लिया था तो वे जानते थे इसमें असली नाम ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का ही था। सोमनाथ चटर्जी का नाम बंगाल के लोग नाखुश ना हो जाएं इसलिए ममता ने रखा था और डॉ. मनमोहन सिंह तो प्रधानमंत्री थे ही। उनके प्रधानमंत्री के पद से हटने का अभी कोई मतलब नहीं बनता था।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का नाम आने से सोनिया को रणनीति बदलनी पड़ी और मजबूरन उन्हें यूपीए की बैठक में प्रणब मुखर्जी के नाम की घोषणा करनी पड़ी। ममता का तो इस सियासी खेल में इस्तेमाल हुआ। असली खेल तो पुराने खिलाड़ी मुलायम ने खेला। राजनीति के गलियारों में चर्चा है कि ममता मुलायम द्वारा नामों की घोषणा के बाद सोनिया ने काफी मशक्कत की। रात में ही दो बार उन्होंने मुलायम से मुलाकात की, जहां मुलायम ने प्रणब मुखर्जी के नाम पर हामी भरी। मुलायम ने एक तीर से दो शिकार किए। एक तो सोनिया के न चाहते भी प्रणब को उम्मीदवार बनवाया और दूसरे यूपीए को अपने ऊपर और निर्भर बना लिया।

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