आरती अनंतभुजा | विठो पंढरीराजा | न चलती उपचार | मनें सारिली पूजा || धृ||
परेस पार नाही | न पडें निगमा ठायी | भुलला भक्ती भावं | लाहो घेतला देहीं –||१||
अनिर्वाच्य शुद्ध बुद्ध | उभा राहिला नीट | रामा जनार्दनी |पायी जोडिली वीट –||२||
भक्ती मार्ग प्रदीप मधून. [हि दोन कडवी वारकरी स्मप्रदायात म्हणण्याची नाही ]